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बेटी नम्बर 2

पारस - अरे,,,मेरा बेल्ट कहां है"? फटाफट कपड़े पहनते हुए पारस ने अपनी पत्नी, साधना से पूछा

साधना - अपनी आंखों पर मेंढक लटका लो,,,मेरा मतलब ऐनक लगवा लो,,,तुम्हारे पांव में ही तो पड़ा है"! साधना ने नाश्ता करते हुए कहा

पारस -  दिन-रात,,,भेंस जैसी,,,कचर कचर चरती रहती हो और चपड़ चपड़ बोलती रहती हो,,,तुम्हारे मुंह में दर्द नहीं होता"!

साधना - अरे,,,तो गलत क्या बोला,,,तुमने बेल्ट का पूछा,,,तो बता दिया"! साधना ने खाते हुए कहा

पारस - बेल्ट के बारे में ढंग से नहीं बता सकती थी,,,बीच में मेंढक और ऐनक को क्यों घुसेड़ा"?

साधना - अरे,,,,यह बेकार की बातें छोड़ो,,,,मुझे,,,तुम्हें एक खास बात बतानी है"!

तभी पारस के बोस का फोन आया

पारस - बोस,,,,बस 5 मिनट में आया"!

बोस - तुमने 10 मिनट पहले भी यही बोला था,,,दुनिया के सारे मैनेजर,,,अपने बॉस का इंतजार करते हैं,,,मैं दुनिया का पहला बॉस हूं,,,जो अपने मैनेजर का इंतजार करता हूं,,,मुझे लगता है,,,तुम्हें यह नौकरी पसंद नहीं है"! बॉस ने फोन काटते हुए कहा

पारस - तेरी खास बात, तेरे पास रख,,,वहां वह,,बोस खा रहा है,,,और यहां तु"! पारस ने मोजे पहनते हुए कहा

साधना - छोड़ो,,,यह दो कौड़ी की नौकरी,,,मेरे पापा जैसे बिजनेसमैन बनो,,,बिजनेसमैन"!

पारस - अरे,,,सब कुछ तो छोड़ दिया, तेरे चक्कर में,,,अब क्या दुनिया भी छोड़ दूं,,,पहले गुटखा,,सिगरेट,,,शराब छुड़ाई,,,फिर मेरे मां-बाप को छुड़ाया,,,फिर दोस्तों का साथ छुड़ाया,,,मेरा गांव तक छुड़ा दिया पर कभी खुद ने पीछा नहीं छोड़ा,,,चुंबक जैसी चिपक गई है मेरी किस्मत से"!

साधना - एक बार मेरी बात सुन लो,,,सुनोगे तो खुशी से झूठ उठोगे"!

पारस - और कितना झूमू,,कितना नाचू,,तेरे चक्कर में,,भगवान ने तेरे मुंह में वह शब्द ही नहीं भरे,,जो मुझे अच्छे लगे,,,5 साल से तेरा रेडियो सुन रहा हूं,,,तकलीफ,,,टेंशन,,,जलन,,,घबराहट ही मिली है,,,तेरी बातें सुनकर"! पारस ने जूते पहन कर उठते हुए कहा,,और जल्दबाजी में दरवाजे के करीब पहुंचा

तभी पीछे से साधना ने उठकर कहा

साधना - पारस मणिलाल,,,बधाई हो,,,तुम पापा बनने वाले हो"!

पारस वहीं ठहर गया,,,साधना के उन शब्दों मने पारस को गहरी शांति का अनुभव कराया,,,उसका चेहरा खुशी से गुलाब की तरह,,खिल गया,,उसने मीठी मुस्कान के साथ,,,धीरे से अपनी आंखें बंद की और इस खुशी को अपने दिल तक महसूस किया,,,फिर उसने पलट कर मुस्कुराते हुए,,,अपनी पत्नी को देखा,,,पत्नी की आंखों में आंसू है,,,पारस ने अपनी,,,पत्नी के आंसू पोंछ कर कहा

पारस - बधाई हो,,,तुम भी मां बनने वाली हो"!

साधना - अब मुझे,,,तुम्हारे घर वाले बांज नहीं समझेंगे और ना तुम्हारी,,,दूसरी शादी की बात करेंगे,,,अब मेरा घर भी मेरे,,,बेटे की किलकारियों से चहक उठेगा"!

पारस - बेटा नहीं,,,बेटी होगी,,,क्योंकि बेटी नंबर वन होती है और बेटा नंबर टु होता है"!

साधना - नहीं,,,बेटा नंबर वन होता है ओर बेटी नंबर टु होती है"!

पारस - बेटी,,,,लक्ष्मी का रूप होती है और सुख समृद्धि का प्रतीक होती है"!

साधना - बेटा,,,मां बाप का अभिमान होता है और बुढ़ापे का सहारा होता है"!

पारस - बेटा कोई निहाल नहीं करता है, ,मैंने कौन सा अपने अपने माता-पिता को निहाल कर दिया और उनका बुढ़ापे का सहारा बन गया,,,तेरे चक्कर में यहां पड़ा हूं और मेरे माँ-बाप वहां,,,गांव में अकेले पड़े हैं"!

तभी बोस का फिर फोन आया,,,पारस ने कहा

पारस - बोस,,,,आज मेरा,,,पेट दर्द कर रहा है,,,आज मैं नहीं आ आऊंगा"!

बोस - तो गधे,,,यह बात आधे घंटे पहले बोल देता,,,आधे घंटे से धूप में जल रहा हूं"!

पारस - गधा होगा तेरा बाप,,,बेटा,,,तू,,,मेरा बोस,,,मेरी वजह से ही बना है,,,अगर मैं,,तुझे अपना बॉस बना सकता हूं तो मैं,,,तेरा बॉस बन भी सकता हूं,,,यह बात मत भूल मत"!

बोस - तुझे छुट्टी चाहिए तो ले ले पर यार,,,फोकट की धमकी मत दे"! बोस ने फोन काटते हुए कहा

साधना - यहां दिन भर क्या,,खाना बनाओगे,,, काम पर जाओ "?

पारस - आज तो तुम्हारी सेवा करूंगा,,,आरती उतारूंगा और,,,,,और,,,,"! पारस ने साधना की जुल्फों से खेलते हुए कहा

साधना - और क्या इरादा है"? साधना ने प्यार से पूछा

पारस ने साधना को अपने बाजुओं में उठाया,,,

साधना - नीचे उतारो,,,मुझे कभी प्यार से बात तक नहीं करते हो,,,शादी के पहले तो लड्डू जैसे,,,घूमते थे मेरे आगे पीछे"! साधना ने प्यार से ऐतराज जताया

पारस - पर मैने,,,,तुम्हें नहीं,,,अपनी बेटी को उठाया है क्योंकि वह इस वक्त तुम्हारे पास है"!

9 महीने बाद

पारस के हाथों में उसकी नन्ही बेटी है, ,,तब पारस ने अपनी बेटी के लाड़ करते हुए कहा

पारस - तुम,,,सिर्फ मेरी बेटी नंबर वन नहीं हो,,,मेरी किस्मत भी हो,,,देखो,,,,तुम्हारे आते ही मेरी किस्मत,,,कैसे बदल गई और मैं सबका बॉस बन गया हूं,,,मेरा बोस,,,मेरा मैनेजर बन गया है,,,ए,,,मैनेजर जा,,,किसी अच्छे हलवाई की दुकान से 21 किलो मिठाई लेकर आओ ओर सारे मोहल्ले में,,,सबको बांट दो"!

मैनेजर - ठीक है बोस"!

मैनेजर ने एक मिठाई की दुकान पर आकर कहा

मेनेजर - 21 किलो अच्छी वाली मिठाई दे दो"! दुकानदार ने 21 पैकेट मैनेजर के सामने रखें,,तब मेनेजर ने वह पैकेट  एक से 21 तक गिने,,,,

21 साल बाद

पारस अब 45 साल का अंकलजी बन चुका है,,,इन बीते 21 सालों में पारस ने खूब तरक्की की है और आज वह अपनी दौलत से के पावर से दुनिया की हर चीज को अपनी मुट्ठी में कर सकता है पर अपने बुढ़ापे को नहीं रोक पाया,  खैर,,,यह तो होना ही था पर पारस आज जो कुछ भी है,  उसकी वजह वह,,,उसकी बेटी नंबर वन को मानता है और पारस ने अपनी बेटी का नाम भी किस्मत रखा है

पारस घर के आंगन में अखबार पड़ रहा है तभी उसने अपने युवा ड्राइवर को देखा,,,जो हीरो बनकर आया है,,,पारस ने उसके करीब आकर कहा

पारस - यहां क्या तेरे बाप की शादी में आया है"!

ड्राइवर - नहीं सर"!

पारस - तो फिर यह चश्मा निकालो,,और यहां कटे-फटे कपड़े पहन कर आया कर, नहीं तो नोकरी से निकाल दुंगा,,गरीब हो तो गरीब की तरह रहो,,,जा,,,गाड़ी साफ कर"! पारस ने ड्राइवर के कपड़े फाड़ते हुए कहा

तब पास खड़ी साधना बोली

साधना - अरे,,,इस बेचारे ड्राइवर पर क्यों भड़क रहे हो,,,गरीबों की बद्दुआ बड़ी खतरनाक होती है"!

पारस - अरे,,,यह गरीब लोग,, अमीर लोगों की बेटियों को अपनी दुख भरी कहानी सुना कर,,,इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं और पटा लेते हैं,,,आजकल की दुनिया बड़ी चालाक है, ,कोई विश्वास के लायक नहीं है"!

साधना - तुम्हें किसी पर विश्वास होगा तो किसी को अच्छा समझोगे,,,तुम तो कांच में देखकर अपनी तस्वीर पर भी यकीन नहीं करते हो,,,लो नाश्ता कर लो और तुम्हारी लाडली साहब जादी को भी बुला लो"!

पारस -  उसे आराम करने दो,, पारस मणीलाल की बेटी है,,,कोई गरीब दास की बेटी नहीं है,,,और तुम इतनी जल्दी बूढ्ढी केसे हो गई,, तु भी खुद को एक बार,,आईने में अच्छे से देख"!

साधना - बुढ्ढी,,,जरूर हुई हूं पर तुम जितनी नहीं,, मुझे तो आज भी फिल्मों के ऑफर आ रहे हैं,,,अरे,,,ये फोकट की बातें छोड़ो,,,घर में बेटी जवान हो गई है,,,उसके लिए कोई अच्छा लड़का ढूंढो,, तुम्हारे लाड प्यार ने उसे बिगाड़ कर धूल कर दिया है"!

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5 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 12:00 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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kashish

11-Apr-2024 08:57 AM

Superb

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Varsha_Upadhyay

10-Apr-2024 11:33 PM

Nice

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